विश्व – पटल पर युद्ध तो अनेक हुए किन्तु जाति , धर्म, वर्ण और वर्ग की भावनाओं से परे जहा अनगिनत रण – उन्मुक्त राष्ट्रभक्तो ने शत्रु सेना से लोहा लिया ऐसी शौर्य धरा हल्दीघाटी इकलौती है ।
इस विश्व प्रसिद्ध युद्ध में जन जन ही नहीं वल्कि सेना में हाथी घोड़े भी शस्त्रों सहित जिरह बख्तर धारण किए अपने अपने स्वामी के साथ लड़े और इतिहास में अमर हो गए।
विजय स्तम्भ महाराणा कुम्भा ने गुजरात और मालवा के तुर्क आक्रांताओं को न केवल परास्त किया बल्कि उनको कैद भी रखा। मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को सारंगपुर युद्ध में परास्त कर अपनी ऐतिहासिक विजय की याद में इसका निर्माण कराया।
मेवाड़ जिसमें अनगिनत वीर योद्धा और वीरांगनाओं का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज हैं लेकिन मेवाड़ में तो हाथी रामप्रसाद , घोड़े चेतक और शुभ्रक अपनी स्वामिभक्ति के कारण इतिहास में अमर हो गए। शुभ्रक जिसने अपने स्वामी को बचाने कुतुबुद्दीन ऐबक को मार दिया।