क्षत्राणी पन्नाधाय
क्षत्राणी पन्नाधाय – गांगरोन (झालावाड़) के राजा शत्रुशाल सिंह खींची (चौहान) की बेटी थी। राजा शत्रुशाल सिंह 6000 योद्धाओं के साथ राणा सांगा की ओर से खानवा के युद्ध में बाबर के विरूद्ध लड़े और वीरगति को प्राप्त हुए। क्षत्राणी पन्ना का विवाह मेवाड़ के वीर योद्धा समर सिंह सिसोदिया से हुआ था ।
पन्ना सर्वोच्च पुत्र बलिदानी
जुलाई 1521 ई . में पन्ना ने चन्दन नामक पुत्र को जन्म दिया। 21 अगस्त 1521 ई . को रानी कर्णावती ने राजकुंवर उदय सिंह को जन्म दिया। ई .1536 में बसन्त पंचमी को अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर राजकुंवर उदय सिंह की रक्षा की।
पन्ना के पिता राजा शत्रुशाल सिंह खानवा के युद्ध में मेवाड़ की ओर से बाबर के विरूद्ध लड़े और वीरगति प्राप्त की। गांगरोन कि इस वीर परम्परा देख कर क्षत्राणी पन्ना को महाराणा उदय सिंह जी की धाय मां नियुक्त किया गया ।
मेवाड़ के उत्तराधिकारी बालक उदय सिंह को लेकर पन्ना देवगढ़ , प्रतापगढ़, डुंगरपुर आदि स्थानों पर गई लेकिन किसी ने संरक्षण नहीं दिया। अन्त में कुंभलगढ़ के सरदार आशाशाह देवपुरा ने सहर्ष संरक्षण दिया।
पन्नाधाय ने बालक उदय सिंह को कुंभलगढ़ सुरक्षित रख कर , भेद ना खुले इसलिए स्वयं चित्तौड़गढ़ आ गई । बाद में मेवाड़ के राव , उमरावों द्वारा पन्नाधाय के दिए गए साक्ष्य एवम् प्रामाणिकता सिद्ध करने पर उदय सिंह जी को मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठाया ।
पन्नाधाय क्षत्राणी थी : अकाट्य प्रमाण
इतिहासकार गौरीशंकर ओझा , गोपीनाथ शर्मा , श्यामल दास , पी . एन . ओक , डॉ . हुकम सिंह भाटी , जगदीश सिंह गहलोत , सुजान सिंह झाझड़ , डॉ . कृष्ण सिंह बिहार , डॉ . शम्भू सिंह मनोहर , गोवर्धन शर्मा आदि ने स्पष्ट लिखा है कि पन्नाधाय क्षत्राणी थी। और तो और ठाकुर शिवनाथ सिंह हाड़ा (कोटा) , डॉ . अख्तर हुसैन निज़ामी , और कर्नल जेम्स टॉड जैसे विख्यात इतिहासकारों ने पन्नाधाय को क्षत्राणी ही माना है।
इतिहास में कहीं भी यह दर्ज नहीं है कि पन्नाधाय क्षत्राणी नहीं थी । इतिहास में इसके पुख्ता प्रमाण है कि पन्नाधाय क्षत्राणी थी ।
गागरोन मे आज भी राजा शत्रुशाल एवम् पन्ना खींची के वंशज हैं। इसी प्रकार चित्तौड़गढ़ में समर सिंह के वंशज मौजूद हैं । पन्ना खींची के पीहर पक्ष एवम् ससुराल पक्ष दोनो की वंशावली प्राप्त कि जा सकती हैं दोनो क्षत्रिय है ।
पन्ना क्षत्राणी थी इसका प्रमाण :-
उदय सिंह का जन्म 1522 ई . मे बूंदी (ननिहाल) में हुआ । उदय सिंह के राज्याभिषेक 1537 ई . के समय उम्र 15 वर्ष थी। सन् 1536मे विक्रमादित्य की बनवीर द्वारा हत्या करते समय उदय सिंह की आयु 14 वर्ष थी ।
सन् 1533 -34 में उदय सिंह जी की मां कर्मावती (कर्णावती) द्वारा जौहर करते समय पन्ना देवी को सोपते समय 11 वर्ष थी यह उम्र दूध पीने की नहीं थी ।
पन्ना को मेवाड़ के उत्तराधिकारी उदय सिंह की देख रेख एवम् सुरक्षा का जिम्मा दिया था । यह कार्य किसी विशिष्ट पारिवारिक क्षत्राणी को सौपा जाता था , ना कि किसी साधारण महिला को ।
पन्ना खींची (चौहान) एवम् उदय सिंह की मां कर्मावती हाड़ा (चौहान) दोनो एक ही कुल की थी । अतः यह महत्वपूर्ण कार्य पन्नाधाय को सौपा गया ।
निष्कर्ष (Conclusion) :-
पन्नाधाय गागरोन (झालावाड़) के शासक राजा शत्रुशाल सिंह खींची(चौहान) की बेटी थी । पन्ना का विवाह चित्तौड़गढ़ के वीर योद्धा समर सिंह सिसोदिया से हुआ था । पन्ना के पिता राजा शत्रुशाल अपने 6000 योद्धाओं के साथ राणा सांगा की ओर से खानवा के युद्ध में बाबर के विरूद्ध लड़े और वीरगति को प्राप्त हुए। सन् 1533 -34 में उदय सिंह जी की माता रानी कर्मावती (कर्णावती) के जौहर के समय पन्नाधाय को सौंपते समय 11 वर्ष थी । यह उम्र दूध पीने की नहीं थी। मेवाड़ के भावी उत्तराधिकारी की देख रेख एवम् सुरक्षा का जिम्मा क्षत्राणी पन्ना को सौपा गया । यह कार्य किसी विशिष्ट पारिवारिक एवम् योग्य महिला को सौपा जाता है न कि किसी साधारण महिला को ।
आज कल पन्नाधाय को क्षत्राणी न बता कर अन्य जाति की बता रहे हैं । चाहे इतिहास को कितना भी विकृत किया जाए तो भी सत्य नहीं छुपता । पन्नाधाय क्षत्राणी थी और यहीं सत्य है।
धन्य हैं ऐसी वीरांगना मां पन्ना का जिसने अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर राजकुंवर उदय सिंह को बचाया । मेवाड़ हमेशा आपका आभारी रहेगा ।
आपके बहुमूल्य सुझाव हमारा मार्गदर्शन करेंगे ।
सन्दर्भ :-
- गौरी शंकर ओझा
- गोपीनाथ शर्मा
- श्यामल दास
- जगदीश सिंह गहलोत
- पी . एन . ओक
- डॉ . हुकम सिंह भाटी
- सुर्जन सिंह झाझड
- डॉ . कृष्ण सिंह बिहार
- डॉ . शम्भू सिंह मनोहर
- गोवर्धन शर्मा
- डॉ . अख्तर हुसैन निज़ामी
- कर्नल जेम्स टॉड
- ठाकुर ईश्वर सिंह मढ़ाढ
- ठाकुर शिवनाथ सिंह हाड़ा (कोटा)